गीत-शब्द आणि चित्रफीतींचे दुवे

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खालील गीतांचे शब्द आणि चित्रफीतींचे दुवे गणपा यांनी संकलित करून दिलेले आहेत, त्यांचे मनःपूर्वक आभार!
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वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई

चित्रफित दुवा
चित्रपट : संजोग १९६१
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : मदन मोहन
गीतकार : राजेंद्र किशन
कलाकार : अनिता गुहा

बोल :
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई \- २
नज़र के सामने घटा सी छा गयी \- २
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी

कहाँ से फिर चले आये, वो कुछ भटके हुए साये
वो कुछ भूले हुए नग़मे, जो मेरे प्यार ने गाये
वो कुछ बिखरी हुई यादें, वो कुछ टूटे हुए नग़मे
पराये हो गये तो क्या, कभी ये भी तो थे अपने
न जाने इनसे क्यों मिलकर, नज़र शर्मा गयी
वो भूली

बड़े रंगीन ज़माने थे, तराने ही तराने थे
मगर अब पूछता है दिल, वो दिन थे या फ़साने थे
फ़क़त इक याद है बाकी, बस इक फ़रियाद है बाकी
वो खुशियाँ लुट गयी लेकिन, दिल\-ए\-बरबाद है बाकी
कहाँ थी ज़िन्दगी मेरी, कहाँ पर आ गयी
वो भूली

उम्मीदों के हँसी मेले, तमन्नाओं के वो रेले
निगाहों ने निगाहों से, अजब कुछ खेल से खेले
हवा में ज़ुल्फ़ लहराई, नज़र पे बेखुदी छाई
खुले थे दिल के दरवाज़े, मुहब्बत भी चली आई
तमन्नाओं की दुनिया पर, जवानी छा गयी
वो भूली

वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी \- २
नज़र के सामने घटा सी छा गयी \- २
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी

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ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया

चित्रफित दुवा
चित्रपट : अनारकली १९५३
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : सी. रामचंद्र (रामचंद्र चितळकर) , बसंत प्रकाश
गीतकार : राजेंद्र किशन
कलाकार : बीना राय/रॉय

बोल :
ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया, ये ज़िंदगी

ये बहार, ये समा, कह रहा है प्यार कर
किसी की आरज़ू में अपने दिल को बेक़रार कर
ज़िंदगी है बेवफ़ा
ज़िंदगी है बेवफ़ा, लूट प्यार का मज़ा
ये ज़िंदगी

धड़क रहा है दिल तो क्या, दिल की धड़कनें ना सुन
फिर कहां ये फ़ुर्सतें, फिर कहाँ ये रात\-दिन
आ रही है ये सदा
आ रही है ये सदा, मस्तियों में झूम जा
ये ज़िंदगी

दो दिल यहाँ न मिल सके, मिलेंगे उस जहान में
खिलेंगे हसरतों के फूल, मौत के आस्मान में
ये ज़िंदगी चली गई जो प्यार में तो क्या हुआ
ये ज़िंदगी

सुना रही है दास्तां, शमा मेरे मज़ार की
फ़िज़ा में भी खिली रही, ये कली अनार की
इसे मज़ार मत कहो, ये महल है प्यार का
ये ज़िंदगी

ऐ ज़िंदगी की शाम आ, तुझे गले लगाऊं मैं
तुझी में डूब जाऊं मैं
जहाँ को भूल जाऊं मैं
बस एक नज़र मेरे सनम, अल्विदा, अल्विदा

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ओ सजना, बरखा बहार आई

चित्रफित दुवा
चित्रपट : पारख १९६०
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : सलील चौधरी
गीतकार : शैलेंद्र
कलाकार : साधना (शिवदासानी)

बोल :
ओ सजना, बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई, अँखियों मे प्यार लाई - २
ओ सजना

तुमको पुकारे मेरे मन का पपिहरा \- २
मीठी मीठी अगनी में, जले मोरा जियरा
ओ सजना

ऐसी रिमझिम में ओ साजन, प्यासे प्यासे मेरे नयन
तेरे ही, ख्वाब में, खो गए - २
सांवली सलोनी घटा, जब जब छाई - २
अँखियों में रैना गई, निन्दिया न आई
ओ सजना

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नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम

चित्रफित दुवा
चित्रपट : वोह कौन थी ? १९६४
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : मदन मोहन
गीतकार :राजेंद्र किशन
कलाकार : साधना (शिवदासानी) , मनोज कुमार
बोल :

नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
पिया तोरे आवन की आस
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, बरसें, बरसें

वो दिन मेरी निगाहों में
वो यादें मेरी आहों में -२
ये दिल अब तक भटकता है
तेरी उल्फ़त की राहों में
सूनी सूनी राहें, सहमी सहमी बाहें
आँखों में है बरसों की प्यास
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, बरसें, बरसें

नज़र तुझ बिन मचलती है
मोहब्बत हात मलती है -२
चला आ मेरे परवाने
वफ़ा की शमा जलती है
ओ मेरे हमराही, फिरती हूँ घबराई
जहाँ भि है, आ जा मेरे पास
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, बरसें, बरसें

अधूरा हूँ मैं अफ़साना
जो याद आऊँ चले आना
मेरा जो हाल है तुझ बिन
वो आकर देखते जाना
भीगी भीगी पलकें, छम छम आँसू छलकें
खोई खोई आँखें हैं उदास
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, बरसें, बरसें

ये लाखों ग़म ये तनहाई
मोहब्बत की ये रुसवाई -२
कटी ऐसी कई रातें
न तुम आए न मौत आई
ये बिंदिया का तारा, जैसे हो अंगारा
महंदी मेरे हाथों की उदास
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
पिया तोरे आवन की आस
नैना बरसें, रिमझिम रिमझिम
नैना बरसें, बरसें, बरसें

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पंख होते तो उड़ आती, रसिया ओ ज़ालिमा

चित्रफित दुवा
चित्रपट : सेहरा १९६३
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : रामपाल
गीतकार : हसरथ जयपुरी
कलाकार : संध्या, मुमताझ

बोल :
पंख होते तो उड़ आती, रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग़ दिखलाती

किरनें बन के बाहें फैलायी
आस के बादल पे जाके लहरायी
दूर से देखा मौसम हसीं था
आनेवाले तू ही नहीं था
रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग दिखलाती

यादों में खोयी पहुँची गगन में
पंछी बन के सच्ची लगन में
झूल चुकी मैं वादे का झूला
तू तो अपना वादा ही भूला
रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग दिखलाती

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तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

चित्रफित दुवा

चित्रपट : नवरंग १९५९
गायक/गायिका : आशा भोसले, मन्ना डे
संगीतकार : सी रामचंद्र (रामचंद्र चितळकर)
गीतकार : भरत व्यास
कलाकार : संध्या महिपाल

बोल :
तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू गया उड़ गया रंग जाने कहाँ
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

दिल की महफ़िल में जब ना मुझे तुम मिले
साँस लेती हूँ आ के इस सुनसान में
इन बहारों में जब ना तुझे पा सकी \-२
तो तड़पती हूँ आ के इस वीरान में
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ

छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

ये नज़रें दीवानी तू खोई हुई
तेरे रंगीन सपनों के रंगों में
उमंगों में जब ना तुझे पा सकी \-२
ढूँढती हूँ मैं ग़म की तरंगों में
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ

छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ

मैं छुपी हूँ पिया तेरी पलकन में
तेरी धड़कन में, तेरी हर साँ में,
तेरी हर आस में
मैं छुपी हूँ कहाँ मेरा ये राज़ सुन
दर्द के हाथों ग़म से भरा साज़ सुन
मेरे रोते हुये दिल की आवाज़ सुन

जब तलक तेरा मेरा न होगा मिलन
मैं ज़मीं आसमाँ को हिलाती रहूँगी
आख़िरी आस तक आख़िरी साँस तक
ख़ुद तड़पूँगी और तड़पाती रहूँगी

ये कौन घूँघरू झमका
ये कौन चाँद चमका
ये धरती पे आसमान आ गया पूनम का
ये कौन फूल महका
ये कौन पँछी चहका
महफ़िल में कैसी ख़ुश्बू उड़ी दिल जो मेरा बहका
लो तन में जान आई, होंठों पे तान आई
मेरी चकोरी चाँदनी में कर के स्नान आई
बिछड़ा वो मीत आया, जीवन का गीत आया
दो आत्माओं के मिलन का दिन पुनीत आया
सूरत है मेरे सपनों की तू सोहनी
जमना तू ही है तू ही मेरी मोहनी
तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहाँ
छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ
तू छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ
छुपी है कहाँ
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ज़रा सामने तो आओ छलिये

चित्रफित दुवा

चित्रपट : जनम जनम के फेरे १९५७
गायक/गायिका : लता मंगेशकर , मोहम्मद रफी
संगीतकार : एस. एन. त्रिपाठी
गीतकार : भरत व्यास
कलाकार :मनोहर देसाई, निरुपमा रॉय.

बोल :
ज़रा सामने तो आओ छलिये
छुप छुप छलने में क्या राज़ है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
ज़रा सामने ...

हम तुम्हें चाहे तुम नहीं चाहो
ऐसा कभी नहीं हो सकता
पिता अपने बालक से बिछुड़ से
सुख से कभी नहीं सो सकता
हमें डरने की जग में क्या बात है
जब हाथ में तिहारे मेरी लाज है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
ज़रा सामने ...
प्रेम की है ये आग सजन जो
इधर उठे और उधर लगे
प्यार का है ये क़रार जिया अब
इधर सजे और उधर सजे
तेरी प्रीत पे बड़ा हमें नाज़ है
मेरे सर का तू ही सरताज है
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
ज़रा सामने ...

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आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला

चित्रफित दुवा
चित्रपट : हमल १९४९
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : खेमचंद प्रकाश
गीतकार : नक्षाब (Nakshab)
कलाकार : मधुबाला, अशोक कुमार

बोल :
खामोश है ज़माना, चुप\-चुप हैं सितारे
आराम से है दुनिया, बेकल है दिल के मारे
ऐसे में कोई आहट, इस तरह आ रही है
जैसे कि चल रहा है, मन में कोई हमारे
या दिल धड़क रहा है, इक आस के सहारे

आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला, आएगा आनेवाला \-२

दीपक बग़ैर कैसे, पर्वाने जल रहे हैं \-२
कोई नहीं चलाता, और तीर चल रहे हैं
तड़पेगा कोई कब तक, बे\-आस बे\-सहारे \-२
लेकिन ये कह रहे हैं, दिल के मेरे इशारे

आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला, आएगा आनेवाला

भटकी हुई जवानी, मँज़िल को ढूँढती है \-२
माझी बग़ैर नय्या, साहिल को ढूँढती है
क्या जाने दिल की कश्ती, कब तक लगे किनारे
लेकिन ये कह रहे हैं, दिल के मेरे इशारे

आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला, आएगा आनेवाला \-२

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चौदहवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो

चित्रफित दुवा

चित्रपट : चौदहवीं का चाँद १९६०
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : रवी
गीतकार : शकील बदायुनी
कलाकार : गुरुदत्त, वहिदा रेहमान

बोल :
चौदहवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा कि क़सम, लाजवाब हो

ज़ुल्फ़ें हैं जैसे काँधे पे बादल झुके हुए
आँखें हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए
मस्ती है जिसमे प्यार की तुम, वो शराब हो
चौदहवीं का

चेहरा है जैसे झील मे खिलता हुआ कंवल
या ज़िंदगी के साज पे छेड़ी हुई गज़ल
जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो
चौदहवीं का

होंठों पे खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ
सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कैकशाँ
दुनिया\-ए\-हुस्न\-ओ\-इश्क़ का तुम ही शबाब हो
चौदहवीं का

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चल री सजनी अब क्या सोचे

चित्रफित दुवा

चित्रपट : बंबई कां बाबू १९६०
गायक/गायक/गायिका : मुकेश
संगीतकार : सचीन देव बर्मन
गीतकार : मजरूह (सुलतानपुरी)
कलाकार : देव आनंद, सुचित्रा सेन

बोल :
चल री सजनी अब क्या सोचे \- (२)
कजरा ना बह जाये रोते रोते
चल री सजनी अब क्या सोचे

(बाबुल पछताए हाथों को मल के
काहे दिया परदेस टुकड़े को दिल के ) \- २
आँसू लिये, सोच रहा, दूर खड़ा रे
चल री सजनी

ममता का आँगन, गुड़ियों का कंगना
छोटी बड़ी सखियाँ, घर गली अंगना
छूट गया, छूट गया, छूट गया रे
चल री सजनी

(दुल्हन बनके गोरी खड़ी है
कोई नही अपना कैसी घड़ी है ) \- (२)
कोई यहाँ, कोई वहाँ, कोई कहाँ रे

चल री सजनी अब क्या सोचे
कजरा ना बह जाये रोते रोते
चल री सजनी अब क्या सोचे
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आज की रात मेरे, दिल की सलामी ले ले

चित्रफित दुवा
चित्रपट : राम और शाम १९६७
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : नौशाद
गीतकार : शकील बदायुनी
कलाकार : दिलीप कुमार

बोल :
ये रात जैसे दुल्हन बन गई है चिरागों से
करुंगा उजाला मैं दिल के दाग़ों से

आज की रात मेरे, दिल की सलामी ले ले
दिल की सलामी ले ले
कल तेरी बज़्म से दीवाना चला जाएगा
शम्मा रहे जाएगी परवाना चला जाएगा

तेरी महफ़िल तेरे जलवे हों मुबारक तुझको
तेरी उल्फ़त से नहीं आज भी इनकार मुझे
तेरा मय\-खाना सलामत रहे ऐ जान\-ए\-वफ़ा
मुस्कुराकर तू ज़रा देख ले इक बार मुझे
फिर तेरे प्यार का मस्ताना चला जाएगा

मैने चाहा कि बता दूँ मैं हक़ीक़त अपनी
तूने लेकिन न मेरा राज़\-ए\-मुहब्बत समझा
मेरी उलझन मेरे हालात यहाँ तक पहुंचे
तेरी आँखों ने मेरे प्यार को नफ़रत समझा
अब तेरी राह से बेगाना चला जाएगा

तू मेरा साथ न दे राह\-ए\-मुहब्बत में सनम
चलते\-चलते मैं किसी राह पे मुड़ जाऊंगा
कहकशां चांद सितारे तेरे चूमेंगे क़दम
तेरे रस्ते की मैं एक धूल हूँ उड़ जाऊंगा
साथ मेरे मेरा अफ़साना चला जाएगा
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मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम

चित्रफित दुवा

चित्रपट : मेरे महबूब १९६३
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : नौशाद
गीतकार : शकील बदायुनी
कलाकार : राजेंद्र कुमार, साधना

बोल :
मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे, मेरे महबूब तुझे

भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारोँ नग़में
मैं वो नग़में तेरी आवाज़ को दे आया था
साज़\-ए\-दिल को उन्हीं गीतों का सहारा दे दे
मेरा खोया

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैने
मेरे रग रग में कोई बर्क़ सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैने
आ मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा दे दे
मेरा खोया

मैने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है के मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साए को समझ कर मैं हंसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे दे
मेरा खोया

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में हर महफ़िल में
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखिरी दिन
कल न जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे
मेरा खोया

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से
इक यही मेरा इलाज\-ए\-ग़म\-ए\-तन्हाई है
तेरी फ़ुरक़त ने परेशान किया है मुझको
अब मिल जा के मेरी जान भी बन आई है
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया
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बहारों फूल बरसाओ

चित्रफित दुवा

चित्रपट : सुरज १९६६
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : शंकर-जयकिशन
गीतकार : हसरथ जयपुरी
कलाकार : राजेंद्र कुमार, वयजयंती माला

बोल :
बहारों फूल बरसाओ
मेरा महबूब आया है \- (२)
हवाओं रागिनी गाओ
मेरा महबूब आया है \- (२)

ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में
सितारों माँग भर जाओ
मेरा महबूब आया है \- (२)

नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर
ज़रा तुम दिल को बहलाओ
मेरा महबूब आया है \- (२)

सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ
मेरा महबूब आया है \- (२)
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एहसान तेरा होगा मुझपर

चित्रफित दुवा

चित्रपट : जंगली १९६१
गायक/गायिका :मोहम्मद रफी
संगीतकार : शंकर-जयकिशन
गीतकार : हसरथ जयपुरी
कलाकार : शम्मी कपूर, सायरा बानो

बोल :
एहसान तेरा होगा मुझपर, दिल चाहता है वो कहने दो
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है मुझे
पलकों की छाँओ में रहने दो

(तुमने मुझको हंसना सिखाया \- २)
रोने कहोगे रो लेंगे हम
आँसू का हमारे ग़म ना करो
वो बहते हैं तो बहने दो

(चाहे बना दो, चाहे मिटा दो \- २)
मर भी गए तो देंगे दुआएं
उड़\-उड़ के कहेगी ख़ाक सनम
ये दर्द\-ए\-मुहब्बत सहने दो
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चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे

चित्रफित दुवा

चित्रपट : दोस्ती १९६४
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : लक्ष्मिकांत- प्यारेलाल
गीतकार : मजरूह (सुल्तानपुरी)
कलाकार : सुशील कुमार, सुधीर कुमार

बोल :
चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे
फिर भी कभी अब नाम को तेरे
आवाज़ मैं न दूँगा, आवाज़ मैं न दूँगा

देख मुझे सब है पता
सुनता है तू मन की सदा (२)
मितवा
मेरे यार तुझको बार बार
आवाज़ मैं न दूँगा, आवाज़ मैं न दूँगा
चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे

दर्द भी तू चैन भी तू
दरस भी तू नैन भी तू
मितवा
मेरे यार तुझको बार बार
आवाज़ मैं न दूँगा, आवाज़ मैं न दूँगा
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जो बात तुझ में है तेरी तस्वीर में नहीं

चित्रफित दुवा

चित्रपट : ताज महल १९६३
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : रोशन
गीतकार : साहिर (लुधीयानावी)
कलाकार : प्रदीप कुमार, बीना राय

बोल :
जो बात तुझ में है तेरी तस्वीर में नहीं, तस्वीर में नहीं
जो बात तुझ में है

रंगों में तेरा अक्स ढला, तू न ढल सकी
सांसों की आंच जिस्म की ख़ुशबू न ढल सकी
तुझ में, तुझ में जो लोच है तेरी तहरीर में नहीं
तहरीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी

बेजान हुस्न में कहाँ रफ़्तार की अदा
इनकार की अदा है न इक़रार की अदा
कोई, कोई लचक भी ज़ुल्फ़\-ए\-गिरहगीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी

दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने आ जा किसी तरह
क्या और, क्या और एक झलक मेरी तक़दीर में नहीं
तक़दीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी
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लिखे जो ख़त तुझे

चित्रफित दुवा

चित्रपट : कन्यादान १९६८
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : शंकर-जयकिशन
गीतकार : नीरज
कलाकार : शशी कपूर, आशा पारेख

बोल :
लिखे जो ख़त तुझे
वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के
नज़ारे बन गए

सवेरा जब हुआ
तो फूल बन गए
जो रात आई तो
सितारे बन गए

कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई

फ़िज़ा रंगीं अदा रंगीं, ये इठलाना ये शरमाना
ये अंगड़ाई ये तनहाई, ये तरसा कर चले जाना
बना दे ना कहीं मुझको, जवां जादू ये दीवाना

जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूँ तू सावन है
मेरी दुनिया ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है
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सुहानी रात ढल चुकी

चित्रफित दुवा
चित्रपट : दुलारी १९४९
गायक/गायिका : मोहम्मद रफी
संगीतकार : नौशाद
गीतकार : शकील बदायुनी
कलाकार : सुरेश, मधुबाला

बोल :
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे - २
जहाँ की रुत बदल चुकी ऽ ऽ ऽ
ना जाने तुम कब आओगे

नज़ारे ऽ ऽ ऽ अपनी मस्तियां
दिखा दिखा के सो गये
सितारे ऽ ऽ ऽ अपनी रौशनी
लुटा लुटा के सो गये
हर एक शम्मा जल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी

तड़प रहे हैं हम यहाँ - २
तुम्हारे इंतज़ार में - २
खिज़ा का रंग, आ चला है
मौसम-ए-बहार में - २
मौसम-ए-बहार में
हवा भी रुख बदल चुकी ऽ ऽ ऽ
ना जाने तुम कब आओगे

सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
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हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू

चित्रफित दुवा

चित्रपट : खामोशी १९६९
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : हेमंत कुमार
गीतकार : गुलझार
कलाकार : स्नेहलता, वहिदा रेहमान

बोल :
हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हम ने देखी है

प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक खामोशी है सुनती है कहा करती है
ना ये बुझती है ना रुकती है ना ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है सदियों से बहा करती है
सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो
हम ने देखी है

मुस्कराहट सी खिली रहती है आँखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से छुपे रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, काँपते होंठों पे मगर
कितने खामोश से अफ़साने रुके रहते हैं
सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो
हम ने देखी है
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तेरे बिना जिया जाए ना

चित्रफित दुवा

चित्रपट : घर १९७८
गायक/गायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलझार
कलाकार : रेखा, विनोद मेहरा

बोल :
तेरे बिना जिया जाए ना - २
बिन तेरे तेरे बिन साजना
साँस में साँस आए ना
तेरे बिना

जब भी ख़यालों में तू आए
मेरे बदन से ख़ुश्बू आए
महके बदन में रहा न जाए
रहा जाए ना
तेरे बिना

रेशमी रातें रोज़ न होंगी
ये सौगातें रोज़ न होंगी
ज़िंदगी तुझ बिन रास न आए
रास आए ना
तेरे बिना
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अखियों के झरोखों से, मैने देखा जो सांवरे

चित्रफित दुवा

चित्रपट : अखियों के झरोखों
गायक/गायिका : हेमलता
संगीतकार : रविंद्र जैन
गीतकार : रविंद्र जैन
कलाकार : सचीन रंजिता

बोल :
अखियों के झरोखों से, मैने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्हीं मुस्काए, बस तुम्हीं मुस्काए
अखियों के झरोखों से

इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे हाय मुझे कुछ होने लगा है
इक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूँही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए

जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
दिन रात दुआ माँगे मेरा मन तेरे वास्ते
कहीं अपनी उम्मीदों का कोई फूल न मुरझाए
अखियों के झरोखों से

मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रंगी हूँ
जगते हुए सोई रही नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने कहीं कोई न छीन ले
दिल सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
अखियों के झरोखों से

कुछ बोलके ख़्हामोशियाँ तड़पाने लगी हैं
चुप रहने से मजबूरियाँ याद आने लगी हैं
तू भी मेरी तरह हँस ले, आँसू पलकों पे थाम ले,
जितनी है ख़्हुशी यह भी अश्कों में ना बह जाए
अँखियों के झरोखों से

कलियाँ ये सदा प्यार की मुसकाती रहेंगी
ख़्हामोशियाँ तुझसे मेरे अफ़साने कहेंगी
जी लूँगी नया जीवन तेरी यादों में बैठके
ख़्हुशबू जैसे फूलों में उड़ने से भी रह जाए
अँखियों के झरोखों से
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सांझ ढले गगन तले

चित्रफित दुवा

चित्रपट : उत्सव १९८४
गायक/गायिका : सुरेश वाडकर
संगीतकार : लक्ष्मिकांत - प्यारेलाल
गीतकार : वसंत देव
कलाकार : शेखर सुमन, रेखा

बोल:
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी

सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनो को
किरणों के पाखी

पथ की जाली से झाँक रही थीं कलियाँ \- २
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थीं कलियाँ
इतने में टिमिर दस सपने ले नयनो में
कलियों के आँसुओं का कोई नहीं साथी
छोड चले नयनो को
किरणों के पाखी
सांझ ढले गगन तले

जुगनू का पट ओढ़े आयेगी रात अभी \- २
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कपत है मन जैसे डाली अम्बवा की
छोड़ चले नयनो को
किरणों के पाखी
सांझ ढले गगन तले
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मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को

चित्रफित दुवा
चित्रपट : उत्सव १९८४
गायक/गायिका : लता मंगेशकर- आशा भोसले
संगीतकार : लक्ष्मिकांत - प्यारेलाल
गीतकार : वसंत देव
कलाकार : रेखा, अनुराधा पटेल

बोल :
मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को
बेला महका हो
बेला महका रे महका आधी रात को -२
किसने बँसी बजाई आधी रात को
जिसने पलकें हो
जिसने पलकें चुराई आधी रात को
मन क्यों
बेला महका रे महका आधी रात को

झाँझर झमके सुन -३
झमके आधी रात को
उसको टोको न रोको, रोको न टोको, टोको न रोको, आधी रात को
ओ लाज लगे रे लगे आधी रात को -२
बिना सिन्दूर सोऊँ आधी रात को
बेला महका रे महका आधी रात को
मन क्यों

बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को -२
हमने पी चाँदनी आधी रात को -२
चाँद आँखों में आया आधी रात को

बेला महका रे महका आधी रात को
मन क्यों

रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की प्रीत आधी रात को -२
रात पूरी हो कैसी आधी रात को -२
रात होती शुरू है आधी रात को

मन क्यों
बेला महका रे महका आधी रात को